Date 29 march 2018 Thursday ,
Friends today i am telling a Very Intrested Real Story of comman Indian farmer
दोस्तों आज मैं आपको एक सच्ची कहानी एक आम भारतीय किसान की बताउगा जो अपनी जिंदगी जी रहा है ,लेकिन भरोसा उसे अपने हाथो पर भी नही है क्योकि उसके ये हाथ क्या करे जब पकी फसल पर प्राक्रतिक आपदा आ जाये .. कोई सरकारी मदद नही हो भी जाये तो क्या ..ये "मदद" क्या है क्यों है मे आपको बताता हु यहा मेने इसे इसलिए ही रेखांकित किया है ये "मदद" एक जरिया किसान की आत्मा को निकालने का अर्थात आखरी चुनावी साल सियासी रंग मिलते ह पैसे हो जाती ह मदद फिर अगले 4 साल जो किसान की आत्मा पिसी जाती है उसका कोई अंत नही आखिर वही किसान अपने आत्मा को रो रहा होता ह अपनी जिंदगी को कोस रहा होता है आखिर वह क़र्ज़ लेता है महाज़न अर्थात गांव के धनवानों से क्योकि घर तो चलना है फिर क्या वो महाज़न 1000 रु के 3 महीनो बाद दुगुना बना देता ह फिर ये दुश्मन रूपी चक्र कैलडर को भरता है और किसान की जिंदगी घटा ता जाता है फिर क्या होता है "ये किसान भरी दोपहर में अकेला खेत की डोली पर बैठा सोचता है क्षणिक रो देता है उसी 10 मिनट का खेल उसकी जिंदगी के खुशियो को खत्म कर देते है और वो काल ग्रास का शिकार हो जाता है " चारों और शांति छा जाती हैं दुनिया से मेहनत का संगर्ष खत्म हो जाता है और "मदद " आखिर सूली बन जाती है
लेखक - पंकज सारस्वत
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