हरियालो राजस्थान योजना राजस्थान सरकार की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिसका उद्देश्य राज्य को हरित और सुंदर बनाना है। इस योजना के तहत, राज्य सरकार वृक्षारोपण, जल संचयन और अन्य पर्यावरण संबंधी कार्यों पर ध्यान केंद्रित कर रही है। *मुख्य उद्देश्य:* - राज्य में वृक्षारोपण को बढ़ावा देना और वन क्षेत्र को बढ़ाना - जल संचयन और जल संरक्षण को प्रोत्साहित करना - पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण के लिए काम करना - राज्य को सुंदर और हरित बनाना *कार्यक्रम और गतिविधियाँ:* - वृक्षारोपण अभियान: राज्य सरकार वृक्षारोपण अभियान चला रही है, जिसमें लोगों को वृक्षारोपण के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। - जल संचयन: राज्य सरकार जल संचयन के लिए विभिन्न कार्यक्रम चला रही है, जैसे कि वर्षा जल संचयन और जल संरक्षण। - पर्यावरण संरक्षण: राज्य सरकार पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रही है, जैसे कि प्रदूषण नियंत्रण और वन संरक्षण। *लाभ:* - राज्य को हरित और सुंदर बनाने में मदद मिलेगी - पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण में मदद मिलेगी - जल संचयन और जल संरक्षण में मदद मिलेगी - लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागर...
"मातृभूमि का रक्षक वो हिंदू सूर्य महान है,
राजपूतों की शान वो पृथ्वीराज चौहान है"
पृथ्वीराज चौहान तृतीय और मोहम्मद गौरी -
सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजपूत शक्ति का देदीप्यमान सूरज जिन्होंने अजमेर और दिल्ली पर शासन किया , वह अंतिम हिंदु शासक थे जिन्होंने दिल्ली पर राज किया । पृथ्वीराज चौहान और मोहमद गौरी के मध्य दो ऐतिहासिक युद्ध लड़े गए जो भारत में मुस्लिम सत्ता की नीव डालने वाले थे ।
जो कि गजनी का शासक था वह साम्राज्य विस्तार में पंजाब तक आ गया और पंजाब के कुछ हिस्से कब्जा जमा लिया था।
तराइन प्रथम युद्ध -
तराइन का प्रथम युद्ध 1191 ईस्वी में भटिंडा के पास तराइन के मैदान में लडा गया और इस युद्ध में राजपूत वीरों ने मुस्लिम आक्रांताओं को भगा दिया और इस युद्ध में पृथ्वी राज चौहान की विजय हुई इस युद्ध की भूल यह थी कि पृथ्वीराज चौहान ने गौरी को क्षमा दान दिया यह ऐतिहासिक भूल थी।
तराइन द्वितीय युद्ध -
यह युद्ध 1192ईस्वी में लडा गया और यह उसी जगह लडा गया । गौरी प्रथम युद्ध की हार के बाद बदला लेने को आतुर था और उसने षड्यंत्रों का सहारा लिया और पृथ्वीराज के शत्रु जयचंद गहरवाल को अपनी और मिला लिया साथ ही उसने युद्ध नियमो का पालन भी नही किया।
पृथ्वी राज चौहान की इस युद्ध में पराजय हुई और गौरी दिल्ली की सत्ता पर काबिज हो गया।
तराइन का द्वितीय युद्ध भारतीय इतिहास पर मुस्लिम सत्ता की नीव डालने वाला था। इस युद्ध के बाद राजपूत केंद्रीय शक्ति का कमजोर पड़ गई और समस्त राजपूत अलग अलग छोटे राज्यों में विखंड हो गए।
परीक्षा उपयोगी महत्वपूर्ण -
मोहमद गौरी ने सर्वप्रथम भारत पर कब आक्रमण किया ? - 1175 ईस्वी मुल्तान और वर्तमान भारत गुजरात अभियान आबू युद्ध ( 1178 ईस्वी)
पृथ्वीराज के दरबारी कवि का क्या नाम था ?
- चंद्रवरदाई
'पृथ्वी राज रासो किस भाषा में है' ?
पिंगल भाषा में
'पृथ्वी राज चौहान की कुलदेवी कोन थी' ?
- शकमभरी माता
मोहमद गौरी किसे दिल्ली का शासन संभला गया ?
- कुतुबद्दीन ऐबक जो तुर्क था
चंदावर का युद्ध कब व किसके मध्य लडा गया ?
-1194 ईस्वी कन्नौज के शासक जयचंद गहरवाल
पृथ्वी राज चौहान तृतीय दिल्ली के सम्राट कब बने?
- 1178 ईस्वी
मोहमद गौरी का पूरा नाम क्या था ?
-' मुइजुदीन शिहाबुदीन मोहम्मद बिन साम '
गौरी को हिंदू खोखर जाटों ने मौत के घाट उतार दिया । 1206 ईस्वी
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