हरियालो राजस्थान योजना राजस्थान सरकार की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिसका उद्देश्य राज्य को हरित और सुंदर बनाना है। इस योजना के तहत, राज्य सरकार वृक्षारोपण, जल संचयन और अन्य पर्यावरण संबंधी कार्यों पर ध्यान केंद्रित कर रही है। *मुख्य उद्देश्य:* - राज्य में वृक्षारोपण को बढ़ावा देना और वन क्षेत्र को बढ़ाना - जल संचयन और जल संरक्षण को प्रोत्साहित करना - पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण के लिए काम करना - राज्य को सुंदर और हरित बनाना *कार्यक्रम और गतिविधियाँ:* - वृक्षारोपण अभियान: राज्य सरकार वृक्षारोपण अभियान चला रही है, जिसमें लोगों को वृक्षारोपण के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। - जल संचयन: राज्य सरकार जल संचयन के लिए विभिन्न कार्यक्रम चला रही है, जैसे कि वर्षा जल संचयन और जल संरक्षण। - पर्यावरण संरक्षण: राज्य सरकार पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रही है, जैसे कि प्रदूषण नियंत्रण और वन संरक्षण। *लाभ:* - राज्य को हरित और सुंदर बनाने में मदद मिलेगी - पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण में मदद मिलेगी - जल संचयन और जल संरक्षण में मदद मिलेगी - लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागर...
राजस्थान पशुओं की जनसंख्या के मामले में उतरप्रदेश के बाद दूसरे स्थान पर आता है और 2017 की पशुपालन विभाग की रिपोर्ट ( 20वी) जो की 2019 में प्रकाशित की गई है उसमे पशु संपदा पांच करोड़ अड़सठ लाख है । अब इन पशु संपदा का बेचना और खरीदने के लिए राजस्थान में पशु मेले आयोजित होते है ताकि उत्कृष्ट पशु का बेचने और खरीदना हो सके और ये व्यापारी और किसान वर्ग की अतिरिक्त आय का जरिया भी बनते है। राजस्थान में दस पशु मेले आयोजित होते है। ये पशुपालन विभाग द्वारा आयोजित करवाए जाते है जानते है कोन कोन से पशु मेले है भारत की अनुसूची : जाने 1. गोगामेड़ी पशु मेला , हनुमानगढ़ में आयोजित होता है ये मेला गाय जिनमे राठी प्रमुख है और मुर्रा भैंसो और नाली नसल की भेड़ों की लिए विख्यात है। ये मेला सबसे लंबा चलने वाला पशु मेला भी है । 2. मल्लीनाथ पशु मेला, तिलवाड़ा में आयोजित होता है जोकि बाड़मेर में पड़ता है। ये मेला इसलिए भी प्रसिद्ध है क्योंकि ये राजस्थान का सबसे प्राचीन पशु मेला है। ये गाय थारपारकर, कंकरेज के लिए और मलानी नसल के घोड़ों के लिए प्रसिद्ध है। भारत के शहरो के भौगोलिक उपनाम 3. वीर तेजा पशु मेला जो परब...