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पहाड़ो में सांस लेने में दिक्कत लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

क्या दूसरे ग्रह के लोग धरती पर मौजूद है या थे ??

विज्ञान की दुनिया एक असीम असंख्य सीमा का ज्ञान है , जहा जा पाना और उसे पा पाना उसी तरह असंभव सा लगता है जैसे सूरज के पास जा पाना ।  अब आज का विज्ञान ब्रह्मांड के दूसरे संजीवो को खोजने में लगा है,और धरती के लगभग सभी अंतरिक्ष अनुसंधान वाले मंगल तक पहुंच चुके है । लेकिन अभी भी एलियन की खोज होना बाकी है जिसे अभी कपोल कल्पना ही माना है लेकिन सोचने की बात ये है की धरती पर मानव है उसी तरह इस ब्रह्मांड की कोई और धरती होगी और वहा के वासी भी होगे । और हो सके तो उनकी पहुंच अपनी धरती तक हो गई हो जो हमारे बीच ही रह रहे हो जैसे की जासूस ?? क्या जाने इसमें कितनी सचाई है या मेरी कल्पना बाकी उनकी कहानियां इन दिनों बहुत सी जगह सुनने में आती है सबसे ज्यादा अमेरिका तो क्या अमेरिका के एलियन से कोई संबंध या एलियन का उस धरती से सीधा जुड़ाव लगता है। सुनने में हैरान करता है की वहा की फिल्मों में इस तरह की चीज़े दिखाई गई है जैसे की "Men in black" और "Stranger things" में । बाकी आप अपनी राय जरूर बताएं ।

पहाड़ो पर साँस लेने में दिक्कत क्यों आती है ? : infinity studies

----------- पहाड़ो पर सांस लेने में दिक्कत क्यों आती है ??---------        पहाड़ो पर सांस लेने में दिक्कत आती है यह हवा की कमी यानि ऑक्सीजन की कमी होने की वजह से होती है । अब आप यह कहेगे की ये ऑक्सीजन निचले areas में क्यों  कम नही होती है और उच्चे पहाड़ी इलाको में जाने पर ऑक्सीजन की कमी आ जाती है ।      तो यह है 'घनत्व' का कारण है वायु का घनत्व पृथ्वी की सतह के पास ज्यादा होता है और निश्चित ऊँचाई पर बढ़ते जाने पर ऑक्सीजन का घनत्व घटना शुरू हो जाता है। इसीलिए पहाड़ी क्षेत्रो में जाने पर चक्कर आना ,सिर भारी होना, उल्टी आना, आदि के कारण यहि ऑक्सीजन की कमी है । पहाड़ी क्षेत्रो में apoxia रोग हो जाता है और मनुष्य भूलने लग जाता है। पहाड़ो पर जाने वाले यात्री अपने साथ ऑक्सीजन के टैंक लेकर जाते है क्योकि वह ऑक्सीजन की कमी के कारण जल्दी थकने शुरू हो जाते है इसलिए वे अपने साथ ऑक्सीजन टैंक लेकर चलते है ।    पहाड़ो पर जाने वाले पहले एक निश्चित ऊँचाई पर जाकर अपने शरीर को उसके सहने लायक बनाते है फिर ऊपर की उचाई पर जाते है और धीरे धीरे ऊपर पहाड़ पर चढ़ते है जिससे उनके ऊपर उचाई का असर कम होता है ।