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Air embolism : क्या इंजेक्शन में बुलबुला मार सकता है ?? Air bubble in injection kills you

दोस्तों अगर आप कभी डॉक्टर के पास गए हो या कभी किसी मरीज़ के इंजेक्शन लगाते हुए देखा है , तो आपने एक बात को गौर किया होगा ।

ऐसा देखा गया है कि जब भी किसी को इंजेक्शन लगाया जाता है तो इंजेक्शन लगाने से पहले सीरिंज से थोड़ी सी दवा बाहर निकाल दी जाती है। तो दोस्तों ऐसा करने का कारण ये है कि इंजेक्शन में जो हवा के बुलबुले होते हैं उन्हें बाहर निकालना आवश्यक होता है क्योकि यदि हवा के इन बुलबुलों को सीरिंज से न निकाला जाये तो ये हवा के बुलबुले रक्त के प्रवाह को अवरुद्ध कर सकते हैं, रोक देते है और इसे डॉक्टर की लापरवाही माना जाता है ,
इसे चिकित्सा विज्ञान में एयर ऐम्बॉलिज्म का नाम दिया गया है। ये एक सामान्य प्रक्रिया है किन्तु मानव शरीर के लिए अत्यन्त घातक सिद्ध हो सकती है। ये ठीक वैसा ही है जैसे पानी के पाइप में पत्थर, या किसी प्रकार के कचरे का फंस जाना और यदि कचरा छोटा होता है तो पानी के प्रवाह से निकल सकता है किन्तु यदि ये बड़ा हुआ तो पानी का प्रवाह बंद कर सकता है।

ठीक इसी प्रकार यदि इन बुलबुलों का आकार अत्यन्त सुक्ष्म है या ये कहीं फँसता नहीं है तो कोई भी समस्या नहीं परन्तु यदि ये बुलबुले आकार में बड़े हैं तो फिर ये एक बड़ी समस्या का कारण बन सकते हैं। यदि हवा के ये बुलबुले प्रवाहित होते हुए मानव मस्तिष्क, हृदय या फेफड़ों की ओर पहुँच जाएँ और वहाँ फँस जाएँ तो रक्त का प्रवाह अवरुद्ध हो सकता है और फिर कुछ भी हो सकता है यहा तक की जान जाने का भी खतरा रहता है ।
तो जरूर गौर करियेगा
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Benifits of eating flax seed (ayurveda) अलसी खाने के फायदे आयुर्वेद से

अलसी के फायदे ( benefits of flaxseeds)
हम आपको स्वास्थ्य, त्वचा और बालों के लिए अलसी के फायदे के बारे में बताने जा रहे हैं लेकिन इससे पहले कि हम आपको यह बताएं की अलसी के क्या फायदे हैं आपको यह जान लेना बेहद जरूरी है अलसी हमारे सेहत को तंदुरुस्त करने के लिए किस तरह से कार्य करता है सही टाइम पर संतुलित खाना न खाने और बेवक्त सोने से शरीर बीमारियों का घर बना देता है। ऐसे में जरूरी है कि आप वक्त रहते अपने सेहत पर ध्यान दें और अपने डाइट में सेहतमंद खाने को शामिल करें। ऐसे में अलसी एक अच्छा उपाय है। अब देर किसी बात की, अलसी के फायदों को पढ़ें और इसे अपने डाइट में जरूर शामिल करें।
वजन को कम करने के लिए :
हमारी दिनचर्या का ज्यादा से ज्यादा समय कंप्यूटर, लेपटॉप और मोबाइल के सामने गुजरता है इससे वजन कब बढ़ने लगता है इसका पता ही नहीं चलता की वजन कब बढ़ गया काम में अत्यधिक व्यस्तता होना और खान-पान पर विशेष ध्यान ना दे पाना जिसके वजह से वजन में असमान्य रूप से बढ़ोतरी हो जाती है ।
जिसकी वजह से शरीर को तमाम तरह की बीमारियां घेर लेती हैं यदि नियमित रूप से खाने के साथ अलसी का सेवन किया जाए तो इन समस्याओं से निजात पाया जा सकता है क्योंकि इनमें फाइबर की मात्रा अधिक पाई जाती है जो वजन को संतुलित रखने में हमारी मदद करता है इसमें ओमेगा 3 फैटी एसिड के गुण पाए जाते हैं जो एक सुरक्षित फैट होता है जिससे भूख कम लगती है। जिससे आपके वजन को कम करने में मदद मिल सकता है।
ब्लड प्रेशर को कम करता है:
जैसे ही इंसान तनाव में आने लगता है, तो उसके शरीर में कई तरह की बीमारियां घर करने लगती है और हाई ब्लड प्रेशर उन्हीं में से एक है। हाई ब्लड प्रेशर होने से दिल के दौरे का या ब्रेन हैमरेज होने के अलावा अन्य बीमारियों का खतरा रहता है। इसलिए, आप रोज जितनी जरूरत हो सके उतना व्यायाम करें और खानपान का ध्यान रखें। इसके लिए आप अपने खाने में अलसी के बीज को शामिल करें। इसमें लिनोलिक एसिड, लिगनेन व फाइबर होते हैं, जो कुछ हद तक ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करते हैं।
मधुमेह के लिए फायदेमंद :
इन दिनों हर कोई मधुमेह से ग्रस्त है। इसलिए, जरूरी है कि लोग वक्त रहते इस पर ध्यान दें। मधुमेह में अगर अलसी का सेवन किया जाए, तो ब्लड शुगर का स्तर कुछ प्रतिशत तक कम हो सकता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसमें म्यूसिलेज होता है, जो एक प्रकार का फाइबर होता है यह पाचन को नियंत्रित कर खून में ग्लूकोज कम करताा है।
सर्दी खासी में असरदार:
बदलते मौसम के साथ सर्दी-जुकाम होना आम बात है, लेकिन अगर इस पर ध्यान न दिया जाए, तो यह ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारी का भी रूप ले सकती है। ऐस में अगर आप अलसी के बीज को घरेलू उपाय के रूप में अपनाएंगे, तो सर्दी-जुकाम की परेशानी कम हो सकती है।
कोलेस्ट्रोल लेवल कम करता है:
जब बात आए कुछ हेल्दी खाने की, तो अलसी एक अच्छा ऑप्शन है, अलसी शरीर के हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और दिल की बीमारियों का खतरा भी कम करता है 

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दही खाने के लाभ, नमक मिला के कभी न खाये ( curd nutrition )

स्वस्थ जीवन स्वस्थ खानपान से ही शुरू होता है यदि आप अपने जीवन को रोगों से बचाना है तो स्वस्थ खानपान की आदत डाल लेनी चाइये

तो आज आपको दही के खानपान का उचित तरीका बतायेगे
दही का खानपान -
दही स्वास्थ्य का हितकारी है। यदि व्यक्ति रोज एक कटोरी दही खाता है तो उसकी पाचन क्रिया सही रहती है। दही में भरपूर मात्रा में कैल्शियम, प्रोटीन और विटामिन पाए जाते हैं। लेकिन आप दही किस तरह खा रहे हैं, यह भी मायने रखता है। बहुत सारे लोग दही में नमक डाल कर खाना पसंद करते हैं। लेकिन यहां दही और नमक से जुड़ी कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे हैं जिसे जानकर आप हैरान हो जाएंगे। दही एक प्रकार की आयुर्वेदिक औषधि है जो कि हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद सिद्ध होती है। लेकिन दही में हमें भूल से भी नमक मिलाकर नहीं खाना चाहिए। दही को हमेशा मीठी चीजों जैसे कि चीनी, गुड़, बूरा, मिश्री आदि के साथ खाना चाहिए।
दही के अंदर के बैक्टिरिया ( गुड बैक्टिरिया ) -

दही में ऐसे कई बैक्टीरिया मौजूद होते हैं जिसे किसी मैग्निफाइंग ग्लास के साथ या लेंस के साथ देखें तो हमें उस पर हजारों बैक्टीरिया तैरते नजर आएंगे। गौरतलब है कि यह सभी बैक्टीरिया जीवित अवस्था में आपको दिखाई देंगे। यह सभी बैक्टीरिया हमारे शरीर में प्रवेश करके एंजाइम प्रोसेस को काबू में रखते हैं जिससे भोजन जल्दी पच जाता है और पेट से जुड़ी कई प्रकार की समस्याएं दूर रहती हैं।
लेकिन यदि आप दही में नमक मिला देंगे तो सारे जीवित बैक्टीरिया मर जाएंगे जो कि बैक्टीरियल गुणों को खत्म कर देंगे और इस तरह का दही खाना हमारे किसी काम का नहीं रहेगा। लगभग एक कप दही में भी करोड़ों जीवाणु मौजूद रहते हैं जिनका आपके पेट के अंदर जाना काफी फायदेमंद साबित होता है। मगर एक चुटकी भर नमक भी इन सारे गुणों को नष्ट करने की ताकत रखता है।
दही के गुणों को कैसे बढ़ाये -
दही में ऐसी चीजें मिलानी चाहिए जिससे जीवाणुओं की संख्या में वृद्धि हो, ना कि ऐसी चीजें जो इनकी संख्या घटाये। इसलिए जब भी आप दही खाएं उसमें कुछ मीठा अवश्य मिलाएं। दही में चीनी या गुड़ डालकर खाने की आदत डालें। यह दही में जीवाणुओं की संख्या को बढ़ा देगा। वहीं मिश्री के साथ खाया गया दही सबसे बेहतर होता है और शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है|

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अनुलोम विलोम, एक तरफ की नासिका से श्वास लेना दूसरी को बंद करके, फिर एक पल ठहर कर पहली नासिका को बंद कर बेहद धीमी गति से दूसरी नासिका से श्वास छोड़ना। फिर दूसरी से श्वास लेना, ठहरना और पहली से छोड़ देना। कम से कम दस बार करें।




ये इतना सरल है कि कोई बीमार व्यक्ति भी सोए हुए कर सकता है।कई बीमारियों में फायदेमंद है, जैसे तनाव, उच्च रकतचाप, गठिया, हृदय की बीमारियों में, साइनस। इसके कोई दुष प्रभाव नहीं है।

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विज्ञान की दुनिया एक असीम असंख्य सीमा का ज्ञान है , जहा जा पाना और उसे पा पाना उसी तरह असंभव सा लगता है जैसे सूरज के पास जा पाना ।  अब आज का...