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ठंडे पानी के बर्तन के बाहर पानी की बूंदे आने का पीछे का विज्ञान ( Science dicovery facts)

ठंडे पानी से भरे स्टील के बर्तन के बाहर पानी की बूंदे क्यों आती है ---

गर्मियों के मौसम में हम देखते हैं की किसी पानी की गिलास में जब हम किसी पात्र में हम ठंडा पानी डाल देते हैं तो उस पत्र के बाहर पानी की बूंदे जमा हो जाती हैं और यह बूंदे उस स्टील या प्लास्टिक की बोतल से बाहर के वातावरण से आती हैं यह गिलास बाहरी वातावरण की बूंदे होती है जो संगठित होकर गिलास के बाहरी हिस्से पर जमा हो जाती हैै| 
  तो इसके पीछे का विज्ञान क्या है इसके बारे में हम जानेंगे तो दोस्तों विज्ञान बहुत ही आसान सरल और रोचक है अगर हम इसे ध्यान से पढ़ें समझें तो यह मैं बहुत ही अच्छा लगता है तो विज्ञान में रुचि होना और विज्ञान के मूलभूत चीजों के बारे में जानकारी रखना ही हमें इस चीज के बारे में उत्तर दे देगा तो सबसे पहले जब हम किसी कांच की गिलास या स्टील की गिलास में पानी डालते हैं ठंडा पानी पानी ठंडा होने चाहिए डालते हैं तो हमारे वातावरण में मौजूद जो नमी होती है वह उस कांच या प्लास्टिक की बोतल के ठंडी बाहरी सतह से टकराकर बूंद के रूप वाष्प संगठित होने लगती है कांच के गिलास के पास आने पर क्योंकि कांच गिलास में ठंडा पानी होता है तो वह पास आने  पर वह भी ठंडी हो जाती है और वह बूंदों का रूप ले लेती है और जब यह गिलास धीमे-धीमे आसपास की पूरी वाष्प को संगठित कर देती है करना शुरू कर देती है पानी की बूंद बन जाती है और वह हमें दिखाई देती है हमारे आसपास शुष्कता अधिक होने पर यह अधिक जमा होती है और बाहरी सतह पर बूंदे उतनी ही अधिक होगी।

महंगी गाडियो में चकाचोंध क्यों नही होती : about poleroid

  रात में गाड़ी चलाते समय आँख में सामने से आने वाली गाडियो की लाइट चमक चका चौन्ध पैदा कर देती है क्या ये सब महँगी गाडियो में होता है ?
और सूरज के सामने देखने पर होने वाली चका चौन्ध को कैसे दूर करे या कम किआ जा सकता है तो विज्ञान में इसका भी इलाज़ है ... जी हां आज बात करते है 'पोलेरोइड' के बारे में ।
यानि प्रकाश को उसके दो घटको लंबवत और समान्तर घटको मेसे  एक को प्रथक करने वाला यंत्र ।।
   यानि अधुर्वित प्रकाश को धुर्वित प्रकाश में बदलने वाला सस्ता उपकरण आपके पास पोलेरोइड होता है ।
   यह कुनैन का आयोडोसुल्फ़ेट या हरपेथाईट नाम का कार्बनिक योगिक के छोटे छोटे क्रिस्टल पर निट्रोसैल्युलोज़ के बोहोत पतली फ़िल्म यानि परत चढ़ा देते है जिससे सभी क्रिस्टल के प्रकाशिक अक्ष एक दिशा में यानि समान्तर आ जाये  ये द्विवर्णता के गुण वाले क्रिस्टल होते है ये फ़िल्म कांच के दो प्लेटो के बिच में रख देते हैऔर ये पोलेरोइड तैयार  हो जाता है  ।
जब अध्रवित प्रकाश आता है तो उसमे लंबवत ओर समान्तर घटक दोनों होते है तो एक घटक जो समान्तर होता है वह तो जाने दिया जाता है बाकि धीरे धीरे अवशोषित हो जाता है और निर्गत प्रकाश समतल धुर्वित होता है और प्रकाश की तीव्रता भी कम हो जाती है यह आधी हो जाती है और चकाचोंध भी नही उत्पन्न करता है।।
इसका उपयोग गाडियो , धुप के चश्मो और 3d फिल्मो को बनाने और देखने के लिए किया जाता है ।

बर्फ पानी में तैरती है : इसके पीछे का science

_______ बर्फ का तैरना ______



आप ने देखा होगा अगर बर्फ की सिल्ली को पानी में डाला जाता है तो वो अन्य पत्थर या पदार्थो की तरह डूबती नही है पानी पर तैरती रहती है तो आप सोचते होंगे इस के पीछे का विज्ञान क्या है तो आज आपको उसी का जवाब मिलेगा ।
   why we see blue sky जाने
  तो पहले आपको पता होना चाइए की बर्फ की संरचना केसी है तो बता देता हु बर्फ की संरचना 'पिंजरेनुमा' आक्रति की होती है जेसे पिंजरे में जालिया होती है उसी तरह बर्फ में भी जाली होती है । अब आप सोचेगे ये कोई जवाब थोड़ी हुआ
   तो आपको पहला चरण पूरा हुआ की बर्फ की आकार का ज्ञान हो गया
अब एक और विज्ञानं की बात है जो अभी मेने नही बताई है वह है 'घनत्व'।
'किसी एकांक आयतन में उपस्तिथ द्रव्यमान घनत्व कहलाता है'
तो अगर किसी एकांक आयतन 1cm3 में 3 अणु है वही किसी 1cm3 में 8 अणु मौजुद है तो 8 अणु वाली आयतन का घनत्व 3 अणु वाले से ज्यादा है , तो आप जान गए होंगे की घनत्व क्या है
'अब बात आती है की ये सब में क्यों बता रहा हु तो जो बर्फ है उसका घनत्व पानी के घनत्व से कम होता है अतः वह पानी की सतह पर बनी रहती है'
इसी तरह अगर पत्थर को पानी में गिरते है तो वह डूब जाता है क्योकि पत्थर का घनत्व ज्यादा है पानी की तुलना में ।

गुरुत्वाकर्षण क्या है : भारत में गुरुत्वाकर्षण के खिलाफ पहाड़ी पर ऊपर बहता पानी


गुरुत्व आकर्षण नाम से ही स्पष्ट है की ' धरती के गुरुत्व के कारण आकर्षण'

किन्ही दो वस्तुओ के बिच में आकषर्ण होता है यह उनके द्रव्यमान और उनके बिच की दुरी पर निर्भर करता है,
   गुरुत्व के आकर्षण के कारन ही हमे भार महसूस होता है यह हमारे द्रव्यमान और गुरुत्वीय त्वरण 'g' पर निर्भर होता है इसका मान अलग अलग होता है और स्तिथि की सापेक्ष यह बदल जाता है उचाई और गहराई दोनों स्थितियों में यह बढ ज्यादा है,

हमारे धरती का गुरतविय त्वरण अलग है और चाँद का अलग है इसी कारन चाँद पर स्तिथ व्यक्ति का भार धरति पर बेठे व्यक्ति की तुलना में 1/6 गुना कम होता है

अब बात आती है धरती में क्या कहि पर गुरुत्वाकर्षण शून्य या कम हो सकता है तो केई भौगोलिक स्थितियों के कारन केइ जगह ये स्थितियों बन जाती है
वहा पर गुरत्व कम या नगण्य हो जाए तो व्यक्ति हल्का महसूस करता है
भारत में हिमाचल में उल्टा पानी जगह है वहाँ पर पानी की धरा उलटी बहती परतीत होती है वास्तव में यह हमारी आखो का भृम होता है क्योकि जहाँ हम होते है वहा से हमे पहाड़ पर चढ़ाई प्रतीत होती है लेकिन वास्तव में वह ढाल होती है ये पहाड़ी इलाको में मौजूद होता है ये दृस्टि भर्म होता है
ऐसा स्विट्जरलैंड में भी देखने को मिला है ।



Electric current : Defination and formula

_____विद्युत धारा : 'गतिमान आवेशों के कारण हमे विद्युत धारा प्राप्त होती है
तो विद्युत धारा की परिभाषा हम कह सकते है की ' आवेशों के प्रवाह की दर '


आकाश का रंग नीला क्यों होता है जाने
अर्थार्त प्रति एकांक समय में प्रवाहित होने वाले आवेश को विद्युत धारा कहते है
इसे हम 'I' से दर्शाते है..

विद्युत् धारा का मात्रक 'एम्पियर'
होता है
विद्युत धारा आवेश के प्रवाह से उत्पन्न होती है और ये प्रवाह अपवाह वेग होता है तो आवेश हमारे पास दो प्रकार के होते है
1. धन आवेश 2. ऋण आवेश

विद्युत धारा की दिशा धन आवेश की दिशा होती है
या यु कह दे की इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह के विपरीत दिशा में धारा की दिशा हमे प्राप्त होती है...

I = Q/t
यहाँ i = धारा
Q = आवेश
t = समय



क्या दूसरे ग्रह के लोग धरती पर मौजूद है या थे ??

विज्ञान की दुनिया एक असीम असंख्य सीमा का ज्ञान है , जहा जा पाना और उसे पा पाना उसी तरह असंभव सा लगता है जैसे सूरज के पास जा पाना ।  अब आज का...