हमारे सौरमंडल मिल्की वे के एक छोर पर स्थित है और यह उन करोड़ों सौर मंडलों की भांति इस केंद्रीय शक्ति के चारो और चक्कर लगा रहा है जिसे पूरा होने में करोड़ो वर्षो लगभग 25 करोड़ वर्ष का समय लग जाता है।
आकाशगंगा हमारे वेदों में जिसे दूध का झरना कहा है और इसका वर्णन सभी प्राचीन साहित्यों में मिल जाता है। हम जीवन को धरती के अलावा बसाने के लिए प्रयासरत है और विज्ञान धरती के नजदीक के ग्रह मंगल पर पानी की खोज को मानते है । अगर धरती के अलावा मानव बस्ती बसाने के बारे में सोचते है तो वह मंगल ग्रह पहला ग्रह है ।
आकाशगंगा का चक्रण एक सर्पिल आकार में घूमता है।
सौरमंडल और इसके जैसे अन्य सौरमंडल इसी चक्र में घूमते है तो ये भी हो सकता है की धरती जैसा अन्य ग्रह इसी आकाश गंगा में मिल जाए।
विज्ञान नए नए खोजों का क्षेत्र है और इसी वजह से मानव जीवन की संभावनाओं को आकाशगंगा में खोज ले।