सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

मुस्लिम सत्ता लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

क्या दूसरे ग्रह के लोग धरती पर मौजूद है या थे ??

विज्ञान की दुनिया एक असीम असंख्य सीमा का ज्ञान है , जहा जा पाना और उसे पा पाना उसी तरह असंभव सा लगता है जैसे सूरज के पास जा पाना ।  अब आज का विज्ञान ब्रह्मांड के दूसरे संजीवो को खोजने में लगा है,और धरती के लगभग सभी अंतरिक्ष अनुसंधान वाले मंगल तक पहुंच चुके है । लेकिन अभी भी एलियन की खोज होना बाकी है जिसे अभी कपोल कल्पना ही माना है लेकिन सोचने की बात ये है की धरती पर मानव है उसी तरह इस ब्रह्मांड की कोई और धरती होगी और वहा के वासी भी होगे । और हो सके तो उनकी पहुंच अपनी धरती तक हो गई हो जो हमारे बीच ही रह रहे हो जैसे की जासूस ?? क्या जाने इसमें कितनी सचाई है या मेरी कल्पना बाकी उनकी कहानियां इन दिनों बहुत सी जगह सुनने में आती है सबसे ज्यादा अमेरिका तो क्या अमेरिका के एलियन से कोई संबंध या एलियन का उस धरती से सीधा जुड़ाव लगता है। सुनने में हैरान करता है की वहा की फिल्मों में इस तरह की चीज़े दिखाई गई है जैसे की "Men in black" और "Stranger things" में । बाकी आप अपनी राय जरूर बताएं ।

भारत में मुस्लिम साम्राज्य का विस्तार (भाग 1 )

 "मातृभूमि का रक्षक वो हिंदू सूर्य महान है, राजपूतों की शान वो पृथ्वीराज चौहान है" पृथ्वीराज चौहान तृतीय और मोहम्मद गौरी - सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजपूत शक्ति का देदीप्यमान सूरज जिन्होंने अजमेर और दिल्ली पर शासन किया , वह अंतिम हिंदु शासक थे जिन्होंने दिल्ली पर राज किया । पृथ्वीराज चौहान और मोहमद गौरी के मध्य दो ऐतिहासिक युद्ध लड़े गए जो भारत में मुस्लिम सत्ता की नीव डालने वाले थे ।  जो कि गजनी का शासक था वह साम्राज्य विस्तार में पंजाब तक आ गया और पंजाब के कुछ हिस्से कब्जा जमा लिया था।  तराइन प्रथम युद्ध -  तराइन का प्रथम युद्ध 1191 ईस्वी में भटिंडा के पास तराइन के मैदान में लडा गया और इस युद्ध में राजपूत वीरों ने मुस्लिम आक्रांताओं को भगा दिया और इस युद्ध में पृथ्वी राज चौहान की विजय हुई इस युद्ध की भूल यह थी कि पृथ्वीराज चौहान ने गौरी को क्षमा दान दिया यह ऐतिहासिक भूल थी। तराइन द्वितीय युद्ध - यह युद्ध 1192ईस्वी में लडा गया और यह उसी जगह लडा गया । गौरी प्रथम युद्ध की हार के बाद बदला लेने को आतुर था और उसने षड्यंत्रों का सहारा लिया और पृथ्वीराज के शत्रु जयचंद गहरवाल को अपनी