रात में गाड़ी चलाते समय आँख में सामने से आने वाली गाडियो की लाइट चमक चका चौन्ध पैदा कर देती है क्या ये सब महँगी गाडियो में होता है ?
और सूरज के सामने देखने पर होने वाली चका चौन्ध को कैसे दूर करे या कम किआ जा सकता है तो विज्ञान में इसका भी इलाज़ है ... जी हां आज बात करते है 'पोलेरोइड' के बारे में ।
यानि प्रकाश को उसके दो घटको लंबवत और समान्तर घटको मेसे एक को प्रथक करने वाला यंत्र ।।
यानि अधुर्वित प्रकाश को धुर्वित प्रकाश में बदलने वाला सस्ता उपकरण आपके पास पोलेरोइड होता है ।
यह कुनैन का आयोडोसुल्फ़ेट या हरपेथाईट नाम का कार्बनिक योगिक के छोटे छोटे क्रिस्टल पर निट्रोसैल्युलोज़ के बोहोत पतली फ़िल्म यानि परत चढ़ा देते है जिससे सभी क्रिस्टल के प्रकाशिक अक्ष एक दिशा में यानि समान्तर आ जाये ये द्विवर्णता के गुण वाले क्रिस्टल होते है ये फ़िल्म कांच के दो प्लेटो के बिच में रख देते हैऔर ये पोलेरोइड तैयार हो जाता है ।
जब अध्रवित प्रकाश आता है तो उसमे लंबवत ओर समान्तर घटक दोनों होते है तो एक घटक जो समान्तर होता है वह तो जाने दिया जाता है बाकि धीरे धीरे अवशोषित हो जाता है और निर्गत प्रकाश समतल धुर्वित होता है और प्रकाश की तीव्रता भी कम हो जाती है यह आधी हो जाती है और चकाचोंध भी नही उत्पन्न करता है।।
इसका उपयोग गाडियो , धुप के चश्मो और 3d फिल्मो को बनाने और देखने के लिए किया जाता है ।
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