विज्ञान की दुनिया एक असीम असंख्य सीमा का ज्ञान है , जहा जा पाना और उसे पा पाना उसी तरह असंभव सा लगता है जैसे सूरज के पास जा पाना । अब आज का विज्ञान ब्रह्मांड के दूसरे संजीवो को खोजने में लगा है,और धरती के लगभग सभी अंतरिक्ष अनुसंधान वाले मंगल तक पहुंच चुके है । लेकिन अभी भी एलियन की खोज होना बाकी है जिसे अभी कपोल कल्पना ही माना है लेकिन सोचने की बात ये है की धरती पर मानव है उसी तरह इस ब्रह्मांड की कोई और धरती होगी और वहा के वासी भी होगे । और हो सके तो उनकी पहुंच अपनी धरती तक हो गई हो जो हमारे बीच ही रह रहे हो जैसे की जासूस ?? क्या जाने इसमें कितनी सचाई है या मेरी कल्पना बाकी उनकी कहानियां इन दिनों बहुत सी जगह सुनने में आती है सबसे ज्यादा अमेरिका तो क्या अमेरिका के एलियन से कोई संबंध या एलियन का उस धरती से सीधा जुड़ाव लगता है। सुनने में हैरान करता है की वहा की फिल्मों में इस तरह की चीज़े दिखाई गई है जैसे की "Men in black" और "Stranger things" में । बाकी आप अपनी राय जरूर बताएं ।
सोवियत संघ ने अपना पहला अंतरिक्ष मिशन sputnik 1 सफलता पूर्वक लॉच कर लिया था। लेकिन इसमें कोई भी जिन्दा आदमी या जानवर नहीं था।
इस बार वे किसी प्राणी को अंतरिक्ष में भेजना चाहते थे। उन्होंने एक डॉग को भेजने का मन बनाया। इस मिशन का नाम sputnik 2 रखा। इसके लिए उन्होंने एक ३ साल की मादा डॉग को चुना , जिसका नाम लाइका था। उन्होंने जान बुझ कर आवारा डॉग को चुना क्योंकि वह चुनौती भरे वातावरण में अपने को ढाल सकती थी।
लेकिन वैज्ञानिकों ने इस मिशन पर जल्दी जल्दी काम किया। लाइका के स्पेसक्राफ्ट को जल्दी में बनाया गया। सिर्फ २८ दिन में तैयार कर लिया। ये स्पेसक्राफ्ट काफी छोटा था इसमें घुस कर लाइका घूम नहीं सकती यहां तक की वह ज्यादा हिल डुल नहीं सकती थी।
लाइका को भेजने लायक बनाने के लिए २० दिन तक एक छोटे पिंजरे में कैद करके रखा गया और अंतरिक्ष में रहना सीखने की कोशिश की गई ताकि वह स्पेसक्राफ्ट में रहना सीख जाए। उसके स्पेसक्राफ्ट में कार्बन डाई को सोख लेने वाला व ऑक्सीजन बनाने वाला सिलिंडर और उस को ठंडा रखने के लिए एक पखा था कुछ खाने पीने का समान था।
स्पेसक्राफ्ट जल्दी में बना था इसलिए लॉन्च होने के बाद ही उसमे तकनीकी खराबी आ गई और उसका एक हिस्सा काम नहीं किया। लगभग 5 घंटे बाद ही लाइका के सिग्नल आने बंद हो गए थे।
स्पेसक्राफ्ट १६२ दिन स्पेस में ही था और 14 अप्रैल 1958 धरती के वातावरण में आते समय मरी हुई लाइका के साथ जलकर खत्म हो गया।
इस तरह लाइका ने त्याग किया और उसे हमेशा याद किया जायगा।
लाइका की मौत के बाद सोवियत संघ अंतरिक्ष में डॉग को भेजता ही रहा और इसके लिए वह अपने रॉकेट को सुरक्षित बनाता गया।
1960 में स्ट्रेलका और बेलका नाम के कुत्तों को अंतरिक्ष में भेजा गया। यह दोनों कुत्ते पहली बार सुरक्षित वापस लौटे।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने भी 1958 में गोर्डो नाम के बंदर को अंतरिक्ष में भेजा परंतु उसकी मौत हो गई।
वही नासा ने साल 1959 में बेकर और एबल नाम के दो बंदरों को अंतरिक्ष में फिर भेजा यह दोनों सुरक्षित वापस लौट आए।
सैम नाम के बंदर पर अंतरिक्ष यात्रियों को जिंदा रखने वाले कैप्सूल का टेस्ट हुआ और सैम इसमें पास हो गया।
फिर हेम नाम का चिंपांजी पहली बार अंतरिक्ष में भेजा गया। इसकी मदद से पता चला कि भार हीनता में शरीर कैसे काम करता है।
इसके बाद इंसानों को अंतरिक्ष में भेजना शुरू किया गया।
लेकिन ऐसा नहीं है कि जीवो को अब अंतरिक्ष में भेजा नहीं जा रहा।
साल 2007 में यूरोपीय स्पेस एजेंसी ने टाडीग्रेड के सूक्ष्म जीवों को अंतरिक्ष में भेजा और वह 12 दिन तक जिंदा रवैज्ञानिकों के अथक प्रयास और layyaka के बलिदान ने और अन्य जानवरों के सहनशीलता ने अंतरिक्ष में इतना आगे पहुँचाया है।
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