सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

क्या दूसरे ग्रह के लोग धरती पर मौजूद है या थे ??

विज्ञान की दुनिया एक असीम असंख्य सीमा का ज्ञान है , जहा जा पाना और उसे पा पाना उसी तरह असंभव सा लगता है जैसे सूरज के पास जा पाना ।  अब आज का विज्ञान ब्रह्मांड के दूसरे संजीवो को खोजने में लगा है,और धरती के लगभग सभी अंतरिक्ष अनुसंधान वाले मंगल तक पहुंच चुके है । लेकिन अभी भी एलियन की खोज होना बाकी है जिसे अभी कपोल कल्पना ही माना है लेकिन सोचने की बात ये है की धरती पर मानव है उसी तरह इस ब्रह्मांड की कोई और धरती होगी और वहा के वासी भी होगे । और हो सके तो उनकी पहुंच अपनी धरती तक हो गई हो जो हमारे बीच ही रह रहे हो जैसे की जासूस ?? क्या जाने इसमें कितनी सचाई है या मेरी कल्पना बाकी उनकी कहानियां इन दिनों बहुत सी जगह सुनने में आती है सबसे ज्यादा अमेरिका तो क्या अमेरिका के एलियन से कोई संबंध या एलियन का उस धरती से सीधा जुड़ाव लगता है। सुनने में हैरान करता है की वहा की फिल्मों में इस तरह की चीज़े दिखाई गई है जैसे की "Men in black" और "Stranger things" में । बाकी आप अपनी राय जरूर बताएं ।
नोट:ये कहानी एक लक्ष्मी नाम की लड़की की है

एक बेटी की कलम से हर पिता को समर्पित__

__________मैं बेटी हूँ बोझ नहीं ___________

यह सब मैं इसलिए कह रही हूँ क्योंकि ऐसा मैं फील करती हूँ। एक लड़की थी जब उसका जन्म होने वाला था तब उसके दादा दादी और घर के रिश्तेदार जश्न की तैयारी कर रहे थे क्योंकि उन्हें लगता था कि लड़का होगा पर ऐसा नहीं था, लड़की हुई। जब लोगों ने उसे देखा और जिस नाम से उसे पुकारा वो था – “कुलक्ष्मी”

अपशगुनी नाम सुनने में अजीब लग रहा है ना लेकिन वो लड़की मुस्कुरा रही थी अपना नया नाम सुनकर, सोच रही थी कि किसी जन्नत में आ गयी हूँ मैं। लेकिन लोग मुझे छू भी नहीं रहे हैं ऐसा लगता है मानो मुझे कोई बीमारी है। जो जश्न मनाने आये थे वो भी चले गए। मुझे लोग मारना चाह रहे थे सोच रहे थे, लड़की हूँ और बदनामी के सिवा दे भी क्या सकती हूँ।

केवल एक इंसान जो मेरा पूरा साथ दे रहा था, वो थी मेरी माँ। जिसने मुझे दुनिया की नजरों से बहुत दूर भेज दिया, दुनिया की नज़रों में तो मैं मर चुकी थी लेकिन मैं तो अनाथालय में थी। मेरा भरा पूरा परिवार था लेकिन फिर भी मैं अनाथालय में थी कितना अजीब है ना।

ऐसा कोई दिन नहीं जाता था जब मेरी माँ मुझसे मिलने ना आती हो और मुझे दूध ना पिलाती हो। मेरी पूरी देख रेख करती थी मेरी माँ और परिवार वालों से झूठ बोलती थी कि मैं अपने सहेली से मिलने जा रही हूँ। हर रोज माँ नए बहाने बनाती थी।

एक दिन मुझे तेज बुखार हो गया और उस दिन माँ पूरे दिन मेरे साथ रही और मुझे सुलाकर ही वापस घर गयी। पापा ने पूछा कि इतनी देर कैसे हो गयी तो वो बोलीं कि मेरी सहेली की तबियत खराब थी और मैं उसकी मदद करा रही थी। पापा ने गुस्से में उस दिन मम्मी की पिटाई भी की। माँ दर्द सह रही थी लेकिन फिर भी मुझे छिपा रही थी उसे लगता था कि मैं तो बच्ची हूँ, मैं क्या समझूँगी लेकिन ऐसा नहीं था मैं सब समझती थी।

मैंने भी सोच लिया कि सब जानकार रहूंगी। मैं मैडम के पास गयी और बहुत रिक्वेस्ट करने पर उन्होंने मुझे सब कुछ बता दिया। यह सब सुनकर मुझे बहुत गुस्सा आया, मैंने तभी सोच लिया कि कुछ अलग करके दिखाना है।

कुछ बड़ी हुई तो मैंने बॉक्सिंग क्लब ज्वाइन कर लिया। जब 18 साल की हुई तो मुझे स्टेट चैम्पियन का ख़िताब मिला। दो महीने बाद मेरा एक पाकिस्तान की लड़की ने नेशनल मैच था। जब मिडिया मेरा इंटरव्यू लेने आयी तो मेरी माँ का फोन आया और वो बेचारी बोलीं कि बेटी, अपने कृप्या परिवार की बुराई मत करना। मुझे तो हंसी आ रही थी कि मेरी माँ आज भी अपने परिवार को बचा रही थी। मैंने इंटरव्यू दिया और पूरी जनता ने टीवी पर वो इंटरव्यू सुना। शाम को माँ ने बताया कि टीवी देखते हुए पापा बोल रहे थे कि वाह क्या लड़की है, कितना नाम रौशन कर रही है अपने माता पिता और परिवार का।

वो लोग तो मुझे छोड़कर चले गए थे यह कहकर कि मैं कुलक्ष्मी हूँ। आज वो लोग मेरे से मिलना चाहते थे और मेरे साथ फोटो खींचना चाहते थे लेकिन आज भी वो मेरी पहचान से अनजान थे कि मैं कौन हूँ।

ठीक दो महीने बाद, नेशनल चैम्पियनशिप का मैच हुआ और वो सभी मुझे देखने आये थे। बहुत सारे लोग मैच देखने आये थे और सभी बोल रहे थे – “you can do it” लेकिन मेरी नजरें उस भीड़ में अपने परिवार को तलाश रही थीं। दूर भीड़ में मुझे मेरा परिवार नजर आया उनको देखते ही मेरे अंदर गुस्सा भर गया और सारा गुस्सा मैंने अपने प्रतिद्वंदी पर निकाल दिया और वो नेशनल ख़िताब अपने नाम कर लिया।

फिर क्या, सभी मुझमें interested हो गए, लोग मुझसे मेरे परिवार के बारे में पूछने लगे। बहुत मजबूर होकर मैंने बताया कि मैं वो लड़की हूँ जिसे 20 साल पहले मार दिया गया था जिसे सबसे पहला नाम “कुलक्ष्मी” दिया गया था। मेरे पूरे परिवार की आँखें नम हो चुकी थीं।

तभी दूर भीड़ में से भागकर कोई मेरे पास आया और मुझे बेटी कहकर पुकारा, ये सब मानो मेरे लिए कोई सपने जैसा था, जो बचपन का प्यार मैंने खो दिया था, वो अचानक ही मुझे मिल गया और उसने मुझे गले लगाकर सभी से कहा – “यह मेरी बेटी है” जिसने मुझे पिता बनने का हक़ दिलाया। सभी लोग मेरे से माफ़ी मांग रहे थे।

जब मैंने जन्म लिया तब मैं केवल एक लड़की थी
लेकिन आज मैं एक बेटी हूँ,
अब मैं अपने आँगन की तुलसी बन चुकी हूँ,
अपने घर की मुस्कान बन चुकी हूँ
मैं बेटी बन चुकी हूँ……

यह कहानी थी मुझ कुलक्ष्मी की जिसने मुझे अपने घर की लक्ष्मी बनाया….. और मेरी माँ इस कहानी की सबसे महत्वपूर्ण पात्र थी।

होती नहीं बेटियां हर किसी की चाह में
जहाँ ना सोचा हो पहुँच जाती हैं उस राह में
जिसने उन्हें पैदा होते ही मार दिया हो
समझो उसने अपनी बदल रही किस्मत को ठुकरा दिया………

दोस्तों बिल्कुल सही बात कही है बेटी ने कि बेटी हूँ बोझ नहीं, आज के समाज में सभी लोगों को इस हकीकत को अपनाना होगा तभी महिला सशक्तिकरण का सपना पूरा होगा। आपको ये कहानी कैसी लगी और आप इसके बारे में क्या कहना चाहते हैं, ये सब बताने के लिए आप नीचे लगे कमेंट बॉक्स में  अपना कमेंट लिखकर हमें भेज दीजिये

धन्यवाद!!!

जय श्री कृष्णा___🙏

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

राजस्थान की प्रसिद्ध साहित्यिक कृतियां

Special RAS MAINS EXAM राजस्थानी साहित्य की कुछ प्रमुख रचनाएँ  (पार्ट- 1) ▪️पृथ्वीराज रासौ (चन्दबरदाई) : इसमें अजमेर के अन्तिम चैहान सम्राट- पृथ्वीराज चौहान तृतीय के जीवन चरित्र एवं युद्धों का वर्णन। यह पिंगल में रचित वीर रस का महाकाव्य है। माना जाता है कि चन्द बरदाई पृथ्वीराज चैहान का दरबारी कवि एवं मित्र था। ▪️खुमाण रासौ ( दलपत विजय ) : पिंगल भाषा के इस ग्रन्थ में मेवाड़ के बप्पा रावल से लेकर महाराजा राजसिंह तक के मेवाड़ शासकों का वर्णन है। ▪️विरूद छतहरी, किरतार बावनौ (कवि दुरसा आढ़ा) : विरूद् छतहरी महाराणा प्रताप को शौर्य गाथा है और किरतार बावनौ में उस समय की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति को बतलाया गया है। दुरसा आढ़ा अकबर के दरबारी कवि थे। इनकी पीतल की बनी मूर्ति अचलगढ़ के अचलेश्वर मंदिर में विद्यमान है। ▪️बीकानेर रां राठौड़ा री ख्यात (दयालदास सिंढायच) : दो खंडोे के ग्रन्थ में जोधपुर एवं बीकानेर के राठौड़ों के प्रारंम्भ से लेकर बीकानेर के महाराजा सरदार सिंह सिंह के राज्यभिषेक तक की घटनाओं का वर्णन है ! ▪️सगत रासौ (गिरधर आसिया) : इस डिंगल ग्रन्थ में महाराणा प्रताप के छोटे भाई शक्तिसि...

First Fort in Rajasthan which Has Lift : Junagarh Fort Bikaner [ Fort of Rajasthan ]

बीकानेर का किला  जूनागढ़ दुर्ग , गढ़ चिंतामणि दुर्ग,जमीन का जेवर आदि नामों से प्रचलित है । जूनागढ़ किला बीकानेर सिटी के मध्य भाग में स्थित है और बीकानेर का प्रमुख पर्यटन स्थल भी है जिसे देखने देश विदेश और राजस्थान की सैलानी आते है। आइए जानते है जूनागढ़ के बारे में - जूनागढ़ के किले का निर्माण राठौड़ वंश के शासक महाराजा रायसिंह के द्वारा सन 1594 ईस्वी में बनवाया गया वह स्वयं युद्ध अभियानों में रहने के कारण इसे प्रधानमंत्री करमचंद के सानिध्य में बना। महाराजा रायसिंह बीकानेर के प्रथम शासक थे जिन्होंने महाराधिराज की उपाधिि ली। महाराज रायसिंह अकबर के मनसबदार थे। जूनागढ के किले की पूरी वीडियो tour guide जूनागढ़ के किले में प्रवेश द्वार सुरजपोल है और इस द्वार पर वीर जयमल मेड़तिया और फत्ता सिसौदिया की गजरूढ़ प्रतिमा लगी हुई है। ये दोनो वीर अकबर के 1568 के चित्तौड़ आक्रमण में अतुलनीय वीरता का प्रमाण दिया और वीरगति को प्राप्त हुए  राजपूत शक्ति और साहस का उत्कर्ष ये दोनो वीर थे। इनकी वीरता का राजस्थान इतिहास में  अहम स्थान है। इनकी प्रतिमा महाराजा रायसिंह द्वारा लगवाई गई...

जैसलमेर के ऐतिहासिक जैन मंदिर Jain Temples of Jaisalmer

राजस्थान की धरती क्षत्रिय की धरती रही है और कण कण में स्वाभिमान और मिट्टी के प्रति प्रेम है। राजस्थान की राजधानी जयपुर से कुछ 400 से 500 km की दूरी पर राजस्थान के सोने की नगरी यानी स्वर्णनगरी जैसलमेर स्थित है जो भाटी राजपूतों की रियासत थी। इस सिटी का नाम स्वर्णनगरी इसके पीले संगमरमर से बने आलीशान महलों इमारतों से हुआ है इस शहर में सभी घर पीले संगमरमर से बने है जो चमकती धूप में सोने का अहसास दिलाते है। भाटी राजाओं ने आज से 865 साल पहले इसे बसाया और सोनार किला बनवाया । सोनार किला के भीतर जैन टेंपल और अन्य कई हवेलियां है और इस किले के भीतर एक पूरा शहर बसा है यह राजस्थान का दूसरा बड़ा किला है।  Jain Temples of Jaisalmer - Jain Mandir Jaisalmer fort YouTube video पतली पतली इसकी गलियों से होते हुए जैन टेंपल के समूह आता है जो अपनी नक्काशी , स्थापत्य और मूर्तिकला के लिए जाना जाता है इसकी स्थापत्य और भवन निर्माण अदभुत है यह भगवान महावीर जी का मंदिर है और इसकी स्थापत्य देखते ही बनती है। इन मंदिरों का निर्माण 400 से 600 साल के बीच माना जाता है। यह मंदिर किले के दर्शनीय स्थलों में ...