विज्ञान की दुनिया एक असीम असंख्य सीमा का ज्ञान है , जहा जा पाना और उसे पा पाना उसी तरह असंभव सा लगता है जैसे सूरज के पास जा पाना । अब आज का विज्ञान ब्रह्मांड के दूसरे संजीवो को खोजने में लगा है,और धरती के लगभग सभी अंतरिक्ष अनुसंधान वाले मंगल तक पहुंच चुके है । लेकिन अभी भी एलियन की खोज होना बाकी है जिसे अभी कपोल कल्पना ही माना है लेकिन सोचने की बात ये है की धरती पर मानव है उसी तरह इस ब्रह्मांड की कोई और धरती होगी और वहा के वासी भी होगे । और हो सके तो उनकी पहुंच अपनी धरती तक हो गई हो जो हमारे बीच ही रह रहे हो जैसे की जासूस ?? क्या जाने इसमें कितनी सचाई है या मेरी कल्पना बाकी उनकी कहानियां इन दिनों बहुत सी जगह सुनने में आती है सबसे ज्यादा अमेरिका तो क्या अमेरिका के एलियन से कोई संबंध या एलियन का उस धरती से सीधा जुड़ाव लगता है। सुनने में हैरान करता है की वहा की फिल्मों में इस तरह की चीज़े दिखाई गई है जैसे की "Men in black" और "Stranger things" में । बाकी आप अपनी राय जरूर बताएं ।
______ infinity studies____
अधिकतर बच्चों का सवाल होता है की सूर्य से श्वेत प्रकाश आता है तो हमें आकाश नीला क्यों दिखाई देता है ?
बच्चों का यह सवाल लाज़मी भी है क्योकि सूर्य सफ़ेद प्रकाश ही किरणों के रूप में उत्सर्जित करता है
सूर्य के उस श्वेत प्रकाश में दोस्तों सात रंग का मिश्रण होता है
वे है- violet , indigo, blue, green,yellow, orange,red,
तो दोस्तों जो voilet है उसकी तरंग परास सबसे कम होते है और ये जल्दी ही फेल जाता है वातावरण में वही आगे बढ़ते जाने पर लाल रंग की तरंग परास सबसे ज्यादा होते है जिससे ये वातावरण में फैलता नही है
तो जो सूर्य का प्रकाश सूर्य से हमे मिलता है वो पृथ्वी के वातावरण में आता है और उसमे उपस्थित किरणों से टकराता है जहाँ कम परास वाला प्रकाश फेल जाता है और अधिक वाला नही फैलता अत जब प्रकाश हमारी आखो तक आता है तो आकाश में फेला हुआ नीला प्रकाश ही हमे दीखता है जो सूर्य से आने पर फेल गया था
और बाकि अन्य रंग उसी श्वेत प्रकाश का हिस्सा रहता है
लेकिन जब सूर्य उगते समय ओर सूर्यास्त के समय जो सूर्य ओर पिरथ्वी की दुरी है वो वहुत ज्यादा बढ़ जाती है
तो श्वेत प्रकाश फेल जाता और सभी रंग फैलते अंत में लाल कम फैलता है और नील आकाश में सूरज लाल दिखाई दे जाता है
ये सभी प्रकरण हमे "प्रकाश के अपवर्तन" के वजह से दीखते है
अपवर्तन : प्रकाश का एक माध्यम 1 से दूसरे माध्यम में जाने पर अपना पथ विचलित हो जाता है अपवर्तन कहलाता है
अर्थार्त विरल से सघन में जाने पर वह कुछ कोण पर झुक जाता है और सघन से विरल में जाने पर कुछ कोण से उठ जाता है .....
अधिकतर बच्चों का सवाल होता है की सूर्य से श्वेत प्रकाश आता है तो हमें आकाश नीला क्यों दिखाई देता है ?
बच्चों का यह सवाल लाज़मी भी है क्योकि सूर्य सफ़ेद प्रकाश ही किरणों के रूप में उत्सर्जित करता है
सूर्य के उस श्वेत प्रकाश में दोस्तों सात रंग का मिश्रण होता है
वे है- violet , indigo, blue, green,yellow, orange,red,
तो दोस्तों जो voilet है उसकी तरंग परास सबसे कम होते है और ये जल्दी ही फेल जाता है वातावरण में वही आगे बढ़ते जाने पर लाल रंग की तरंग परास सबसे ज्यादा होते है जिससे ये वातावरण में फैलता नही है
तो जो सूर्य का प्रकाश सूर्य से हमे मिलता है वो पृथ्वी के वातावरण में आता है और उसमे उपस्थित किरणों से टकराता है जहाँ कम परास वाला प्रकाश फेल जाता है और अधिक वाला नही फैलता अत जब प्रकाश हमारी आखो तक आता है तो आकाश में फेला हुआ नीला प्रकाश ही हमे दीखता है जो सूर्य से आने पर फेल गया था
और बाकि अन्य रंग उसी श्वेत प्रकाश का हिस्सा रहता है
लेकिन जब सूर्य उगते समय ओर सूर्यास्त के समय जो सूर्य ओर पिरथ्वी की दुरी है वो वहुत ज्यादा बढ़ जाती है
तो श्वेत प्रकाश फेल जाता और सभी रंग फैलते अंत में लाल कम फैलता है और नील आकाश में सूरज लाल दिखाई दे जाता है
ये सभी प्रकरण हमे "प्रकाश के अपवर्तन" के वजह से दीखते है
अपवर्तन : प्रकाश का एक माध्यम 1 से दूसरे माध्यम में जाने पर अपना पथ विचलित हो जाता है अपवर्तन कहलाता है
अर्थार्त विरल से सघन में जाने पर वह कुछ कोण पर झुक जाता है और सघन से विरल में जाने पर कुछ कोण से उठ जाता है .....
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