हरियालो राजस्थान योजना राजस्थान सरकार की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिसका उद्देश्य राज्य को हरित और सुंदर बनाना है। इस योजना के तहत, राज्य सरकार वृक्षारोपण, जल संचयन और अन्य पर्यावरण संबंधी कार्यों पर ध्यान केंद्रित कर रही है। *मुख्य उद्देश्य:* - राज्य में वृक्षारोपण को बढ़ावा देना और वन क्षेत्र को बढ़ाना - जल संचयन और जल संरक्षण को प्रोत्साहित करना - पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण के लिए काम करना - राज्य को सुंदर और हरित बनाना *कार्यक्रम और गतिविधियाँ:* - वृक्षारोपण अभियान: राज्य सरकार वृक्षारोपण अभियान चला रही है, जिसमें लोगों को वृक्षारोपण के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। - जल संचयन: राज्य सरकार जल संचयन के लिए विभिन्न कार्यक्रम चला रही है, जैसे कि वर्षा जल संचयन और जल संरक्षण। - पर्यावरण संरक्षण: राज्य सरकार पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रही है, जैसे कि प्रदूषण नियंत्रण और वन संरक्षण। *लाभ:* - राज्य को हरित और सुंदर बनाने में मदद मिलेगी - पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण में मदद मिलेगी - जल संचयन और जल संरक्षण में मदद मिलेगी - लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागर...
राजस्थान वीर सपूतों की जन्मभूमि है
और यहाँ ऐसेऐसे वीर योद्धाओं ने जन्म लिया है
जिन्होंने अपने मातृभूमि और स्वतंत्रता के
लिए अपने प्राण तक की आहुति दी है।
राजस्थान जहाँ वीर सपूत बाप्पा रावल ,
सम्राट पृथ्वीराज चौहान ,राणा हम्मीर, रावल रतन
सिंह, महान राणा कुंभ, परम श्रेठ राणा संग्राम सिंह,
महाराज मालदेव, वीर दुर्गादास राठौर जेसे
महावीर पराक्रमी अपनी जन्मभूमि को
प्राणों से प्रिय मानने वाले पुण्य आत्माओं
ने अपने खून से सींचा हैं ।
ऐसे वीर सपूतो की भूमि आखिर क्यों
अंग्रेज़ो के संधि की भेंट हुई।
राजपुताना की संधि :
राजपुताना जब मेवाड़ ,जयपुर और जोधपुर,
के राजा जो मुग़ल के साथ थे तब तक यह शांति
थी परंतु जब मुग़ल की केंद्रीय
सत्ता का लोप औरंगज़ेब के पश्चात
अंत हुआ तो ये सव्तंत्र राज़ को प्राप्त हुये
तब तक यह सही था परंतु तभी
एक और केंद्रीय सत्ता मराठा
आगमन हुआ और यह राज़ की एक
परिभाषा गढ़ने वाले थे और इन्होंने
राजस्थान में ऐसा हस्तक्षेप किया
की राजस्थान की सारी जनता यहाँ तक
की राजाओं को एक ऐसी संधि की और
विवश कर दिया जो आगे चलकर सम्पूर्ण
गुलामी की और अग्रसर कर गयी
राजाओ को कर की ,धन की ऐसी हानि
पहुचाई की राजपूताना को सन् 1818
की संधि अंग्रेज़ो से करनी पड़ी
जो राजस्थान की जनता और राजाओ
के सव्तंत्र अधिकार को खा गयी ।
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