परमाणु बम , परमाणु विस्फोट कैसे होता है ?? और परमाणु विस्फोट के प्रभाव : infinity studies


परमाणु बम एक ऐसा बम जो एक झटके में पुरे शहर को खत्म कर सकता है और ऐसा विध्वंसकारी हत्यार है और विश्व के लिए ये एक अभिशाप बन सकता है।
  परमाणु बम परमाणु के विखंडन पर आधारित है जिसमे यूरेनियम या प्लूटोनियम के परमाणु में न्यूट्रॉन का प्रहार किया जाता है जब यूरेनियम से छोटे नाभिक में टूट जाता है और साथ में असीम मात्रा में ऊर्जा बनती है और ये अभिकिर्या लगातार चलती रहती है और जब तक सारा का सारा यूरेनियम खत्म न हो जाये।
  पहला विनाशकारी हथियार tnt को माना जाता था और ये भी असीम ऊर्जा जो एक पुरे के पुरे 100 m के एरिया को खत्म कर सकता है, लेकिन परमाणु बम जो की tnt से 1000 गुना ज्यादा शक्तिशाली है वह पुरे के पुरे शहर को ख़त्म करने की ताकत रखता है और 1945 में अमेरिका ने पर्ल हारबर का बदला लेने के लिए जापान के दो शहर हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराये जो लाखो जिन्दिगियो को ख़त्म कर गया और मानव जाती के लिए एक अभिशाप बन गया वह अब भी परमाणु विस्फोट के प्रभाव देखे जाते है
परमाणु बम से ताप किरणे ,रेडिएशन,और धुँआ जो की कई किलोमीटर लंबा होता है उत्पन्न होता है। परमाणु से पानी, जीवित कोशिका जो उसके रेंज के सम्पर्क में है ख़त्म हो जाती है ।
परमाणु बम एक अभिशाप की तरह है जो कभी शहायता नही कर सकता ।।

कपालभाती प्राणायाम : प्राणायाम के लाभ, करने का तरीका ( योग का महत्व )


'पहला सुख निरोगी काया'

अगर आपके पास समय कम है, तो योग और प्रणायाम स्वस्थ रहने के लिए किये जाने वाले सर्वोत्तम उपाय है । और इसके लिए आपको ट्रेनर या जिम जाने की भी आवश्यकता नही है । कपालभाती आसन एक ऐसा आसन है जिसमें सभी योगासनों का फायदा प्राप्त होता है ।
कपालभाती प्राणायाम को जीवन की संजीवनी कहा जाता है।कपालभाती प्राणायाम को हठयोग में शामिल किया गया है।सांसों को अंदर-बाहर धक्का देना होता है, सांस लेने से बचना है प्राणायाम के वक्त ।

दिनभर तमाम काम करते हुए आप थक जाते हैं। काम के कारण आपका खान-पान भी अनियमित रहता है और आपके पास एक्सरसाइज का भी टाइम नहीं रहता है। ये आदत आपको धीरे-धीरे बीमार बनाती है। अगर आपके पास समय कम है, तो योग और प्रणायाम स्वस्थ रहने के लिए सबसे अच्छा वकल्प है। कपालभाती प्राणायाम एक ऐसा आसन है जिसमें सभी योगासनों का फायदा मिलता है। इसलिए इसे अपनी दिनचर्या में शामिल करें और निरोग रहें।

योग की हर क्रिया कारगर होती है, लेकिन बात जब कपालभाती प्राणायाम की होती है तो इसे जीवन की संजीवनी कहा जाता है। कपालभाती प्राणायाम को सबसे कारगर माना जाता है। कपालभाती प्राणायाम को हठयोग में शामिल किया गया है। योग के आसनों में यह सबसे कारगर प्राणायाम माना जाता है। यह तेजी से की जाने वाली एक रोचक प्रक्रिया है। दिमाग आगे के हिस्‍से को कपाल कहते हैं और भाती का अर्थ ज्योति होता है। कपालभाती प्राणायाम करने के सही तरीके और इससे होने वाले फायदों के बारे में हम आपको बताते हैं।

कैसे करें यह आसान -

कपालभाती प्राणायाम करने के लिए सिद्धासन, पद्मासन या वज्रासन में बैठकर सांसों को बाहर छोड़ने की क्रिया करें। सांसों को बाहर छोड़ने या फेंकते समय पेट को अंदर की तरफ धक्का देना है। ध्यान रखें कि सांस लेना नहीं है क्योंकि उक्त क्रिया में सांस अपने आप ही अंदर चली जाती है। कपालभाती प्राणायाम करते समय मूल आधार चक्र पर ध्यान केंद्रित करना होता है। इससे मूल आधार चक्र जाग्रत होकर कुं‍डलिनी शक्ति जागृत होने में मदद मिलती है। कपालभाती प्राणायाम करते समय ऐसा सोचना है कि हमारे शरीर के सारे नकारात्‍मक तत्व शरीर से बाहर जा रहे हैं।

इस आसन के फायदे -

कपालभाति प्रणायाम की मदद से आप अपने शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकाल सकते हैं।ये लिवर और किडनी को बेहतर काम करने लायक बनाता है।इस प्रणायाम से थकान कम होती है और शरीर में स्फूर्ति आती है।ये आंखों के नीचे के काले घेरों को भी ठीक करता है।कपालभाति प्रणायाम से ब्लड सर्कुलेशन ठीक होता है और शरीर का मेटाबॉलिज्म अच्छा होता है।ब्लड सर्कुलेशन ठीक होने के कारण आपका दिमाग अच्छी तरह काम करता है।इस प्रणायाम से फेफड़ों का फंक्शन भी अच्छा हो जाता है।नियमित अभ्यास से स्मरण शक्ति और दिमाग तेज होता है।

दूर होते हैं कई रोग -

इससे दांतों और बालों के सभी प्रकार के रोग दूर हो जाते हैं। शरीर की अतिरिक्‍त चर्बी कम होती है खासकर पेट की, यानी यह वजन कम करने में भी कारगर आसन है। इसे अलावा इसके नियमित अभ्‍यास करने से कब्ज, गैस, एसिडिटी जैसी पेट से संबंधित समस्या भी दूर हो जाती है।
कपालभाती प्राणायाम का सबसे ज्याद प्रभाव पड़ता है शरीर और मन पर, क्‍योंकि यह मन से नकारात्‍मक तत्‍वों को दूर कर सकारात्‍मकता लाता है। थायराइड, चर्म रोग, आंखों की समस्‍या, दांतों की समस्‍या, महिलाओं की समस्‍या, डायबिटीज, कैंसर, हीमोग्‍लोबिन का स्‍तर सामान्‍य करना, किडनी को मजबूत बनाने जैसे सभी तरह की समस्‍याओं को दूर करने की क्षमता होती है। यानी यह एक ऐसा आसन है जो सभी तरह की समस्‍याओं का उपचार करता  है।

किसने बनाया इंसान को अंतरिक्ष में इतना सफल : infinity studies



सोवियत संघ ने अपना पहला अंतरिक्ष मिशन sputnik 1 सफलता पूर्वक लॉच कर लिया था। लेकिन इसमें कोई भी जिन्दा आदमी या जानवर नहीं था।

इस बार वे किसी प्राणी को अंतरिक्ष में भेजना चाहते थे। उन्होंने एक डॉग को भेजने का मन बनाया। इस मिशन का नाम sputnik 2 रखा। इसके लिए उन्होंने एक ३ साल की मादा डॉग को चुना , जिसका नाम लाइका था। उन्होंने जान बुझ कर आवारा डॉग को चुना क्योंकि वह चुनौती भरे वातावरण में अपने को ढाल सकती थी।

लेकिन वैज्ञानिकों ने इस मिशन पर जल्दी जल्दी काम किया। लाइका के स्पेसक्राफ्ट को जल्दी में बनाया गया। सिर्फ २८ दिन में तैयार कर लिया। ये स्पेसक्राफ्ट काफी छोटा था इसमें घुस कर लाइका घूम नहीं सकती यहां तक की वह ज्यादा हिल डुल नहीं सकती थी।

लाइका को भेजने लायक बनाने के लिए २० दिन तक एक छोटे पिंजरे में कैद करके रखा गया और अंतरिक्ष में रहना सीखने की कोशिश की गई ताकि वह स्पेसक्राफ्ट में रहना सीख जाए। उसके स्पेसक्राफ्ट में कार्बन डाई को सोख लेने वाला व ऑक्सीजन बनाने वाला सिलिंडर और उस को ठंडा रखने के लिए एक पखा था कुछ खाने पीने का समान था।

स्पेसक्राफ्ट जल्दी में बना था इसलिए लॉन्च होने के बाद ही उसमे तकनीकी खराबी आ गई और उसका एक हिस्सा काम नहीं किया। लगभग 5 घंटे बाद ही लाइका के सिग्नल आने बंद हो गए थे।

स्पेसक्राफ्ट १६२ दिन स्पेस में ही था और 14 अप्रैल 1958 धरती के वातावरण में आते समय मरी हुई लाइका के साथ जलकर खत्म हो गया।

इस तरह लाइका ने त्याग किया और उसे हमेशा याद किया जायगा।

लाइका की मौत के बाद सोवियत संघ अंतरिक्ष में डॉग को भेजता ही रहा और इसके लिए वह अपने रॉकेट को सुरक्षित बनाता गया।

1960 में स्ट्रेलका और बेलका नाम के कुत्तों को अंतरिक्ष में भेजा गया। यह दोनों कुत्ते पहली बार सुरक्षित वापस लौटे।

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने भी 1958 में गोर्डो नाम के बंदर को अंतरिक्ष में भेजा परंतु उसकी मौत हो गई।

वही नासा ने साल 1959 में बेकर और एबल नाम के दो बंदरों को अंतरिक्ष में फिर भेजा यह दोनों सुरक्षित वापस लौट आए।

सैम नाम के बंदर पर अंतरिक्ष यात्रियों को जिंदा रखने वाले कैप्सूल का टेस्ट हुआ और सैम इसमें पास हो गया।

फिर हेम नाम का चिंपांजी पहली बार अंतरिक्ष में भेजा गया। इसकी मदद से पता चला कि भार हीनता में शरीर कैसे काम करता है।

इसके बाद इंसानों को अंतरिक्ष में भेजना शुरू किया गया।

लेकिन ऐसा नहीं है कि जीवो को अब अंतरिक्ष में भेजा नहीं जा रहा।

साल 2007 में यूरोपीय स्पेस एजेंसी ने टाडीग्रेड के सूक्ष्म जीवों को अंतरिक्ष में भेजा और वह 12 दिन तक जिंदा रवैज्ञानिकों के अथक प्रयास और layyaka के बलिदान ने और अन्य जानवरों के सहनशीलता ने अंतरिक्ष में इतना आगे पहुँचाया है।

How to Get rid of Mosquito




मच्छर को कम करने के लिए आल आऊट या मोर्टीन का उपयोग करते होंगे लेकिन आपको पता होगा ये सभी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।तो चलिए मैं आपको मच्छरों को कम करने के लिए कुछ आयुर्वेदिक नुस्खे बताते है ।

सरसों के तेल में अजवाइन पाउडर मिलाकर इससे गत्ते के टुकड़ों को भिगो लें और कमरे में ऊंचाई पर रख दें। मच्छर पास भी नहीं आएंगे।
कमरे में कपूर जला दें और 10 मिनट के लिए खिड़की और दरवाजों को बंद कर दें। सारे मच्छर भाग जाएंगे। किसी कपड़े में कपूर और लौंग को साथ में रखकर बांध के कहीं टांग देने से भी मच्छर कमरे में नहीं आएंगे।
लहसुन की तेज गंध मच्छरों को दूर रखती है। लहसुन का रस शरीर पर लगाएं या फिर इसका छिड़काव करें।
लैवेंडर के फूल की खुशबू असरदार होती है जिससे मच्छर भाग जाते हैं। इस घरेलू उपाय के उपयोग के लिए लैवेंडर के तेल को कमरे में प्राकृतिक फ्रेशनर के रूप में छिड़कें।
लेमन बाम का पोधा, पुदीने की प्रजाति से संबंधित होता है। इसकी गंध बहुत ही तेज होती है। हालांकि त‍ितली, मधुमक्खियां और इंसानों की इसकी खुशबू अपनी तरफ आकर्षित करती है। आप इसे घर की किसी भी ऐसे कोने में इसे उगा सकते हो जहां आप चाहते हैं कि मच्‍छर न आ सकें। इसके अलावा मच्‍छरों से बचने के ल‍िए इसके पत्तों को अपने स्किन के ऊपर भी लगा सकतें हैं।

क्या इस संसार में इंसान अकेला है ?? : Infinity Studies

क्या इस असीम संसार में इंसान अकेला है , क्या इंसान ही एक उच्च विकसित जाति है जो इस संसार को खोजने निकली है , क्योकि वैज्ञानिक विचार में एलियन जो बाहरी दुनिया के लोगो को कहते है उस बारे पता नही लगा पाये है और ऐसा अभी कोई जीव उपस्थिति वाला ग्रह खोज नही पाया है ।
  तो मेरा विचार जो की बहुत से विज्ञान में दिलचस्पी रखने वालो को जरूर अच्छा लगेगा क्योकि अगर आप सोचे की हम इस संसार में एक सुई के बराबर संसार को जान पाये जी एक सुई जो न्यूयार्क में खो गयी है ऐसे में हम यह कह नही सकते की हम इंसानो से विकसित कोई जाति नही है हो सकता है की वह उच्च जीव ऐसे formoula विकसित कर गए हो जो टाइम ट्रेवल व अदृश्य हो पाने में सक्षम हो जो अपने अमरत्व को प्राप्त कर गए हो । 
  ऐसे उच्च जीव संस्कृति को खोजना क्या इंसान के लिए मुमकिन है या व्ही हमे खोजेंगे या खोज लिया है यह एक विचार है जो हर एक विज्ञान पसंद मनुष्य को जिज्ञासा से भर देता है ।
आपके विचार जरूर इनबॉक्स में दीजिएगा ❤

क्या दूसरे ग्रह के लोग धरती पर मौजूद है या थे ??

विज्ञान की दुनिया एक असीम असंख्य सीमा का ज्ञान है , जहा जा पाना और उसे पा पाना उसी तरह असंभव सा लगता है जैसे सूरज के पास जा पाना ।  अब आज का...